किस भीड़ में खोये हो
किस राह की तलाश है
किस मंज़र का इंतज़ार है
ना होगी कोई दस्तक
ना होगी कोई खटक
बस बेगाने कभी अपने ही चलेंगे
और कभी अपने पराये
ढूँढो खुद को इस भीड़ मे
तराशो अपना रास्ता
मोड़ तो बहुत आयेंगे
पर सन्नाटे में, द्वंद में
उन अंधेरी तन्हा गलियों में
हमेशा अकेले ही ख़ुद तो पाओगे
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