Saturday, July 29, 2023

नींद

 कैसी नींद है यह 

कुछ ख़याल सोते नहीं 

कुछ पलकें झपकती नहीं

बदली सी मचलती है 

इन आँखों को थकाकर

फिर ओझल हो जाती है 

कहीं रात के अंधेरे में 

बाट देखते, इंतज़ार करते

चाँदनी समेट लेती है 

थाम लेती है चंचल मन को

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